कोलाहल अब है, श्वेत कपोत के गगन में, कोलाहल अब है, श्वेत कपोत के गगन में,
यह ज़िन्दगी यह ज़िन्दगी
बहुत असहाय, बहुत छोटे हो जाते हैं हम रह जाते हैं हाथ बांधे टूट जाता है भ्रम, बहुत असहाय, बहुत छोटे हो जाते हैं हम रह जाते हैं हाथ बांधे टूट जाता...
तुम इस रेप पर लगाम, लगाआगे कब ? इन दरिंदों को फ़ांसी पर, लटकाओगे कब ? तुम इस रेप पर लगाम, लगाआगे कब ? इन दरिंदों को फ़ांसी पर, लटकाओगे कब ?
जब भी सोचती हूँ और विश्वास उठ जाता है...! जब भी सोचती हूँ और विश्वास उठ जाता है...!
अगर तुम इश्क़ करते हो तुम्हें नींदों से रिश्ता तोड़ना होगा बहुत सोते हो न अब रातो में जग अगर तुम इश्क़ करते हो तुम्हें नींदों से रिश्ता तोड़ना होगा बहुत सोते हो न अब रा...