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समाज का दोगला चरित्र यह अंधा स्वार्थ कहां ले जायेगा मन में कुछ मुख में कुछ यह ज़िन्दगी दिल तड़प भयावह सच सबक अमावस्या ज़िंदगी होगा करना कुबूल

Hindi यह अत्यन्त भयावह होगा। Poems